अक्षय तृतीया 2022 India | Akshaya Tritiya in Hindi

आज आपको हम अक्षय तृतीया (About Akshaya Tritiya in Hindi) के बारे में जानकारी देंगे
हिन्दुओं में अक्षय तृतीया बहुत महत्वपूर्ण पर्व है. अक्षय से तात्पर्य कभी न ख़त्म होने से है. तृतीया से आशय इस तिथि से है जो वैसाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि की शुरुवात मे यदि कोई कार्य आरम्भ किया जाये तो कम प्रयास में ज्यादा से ज्यादा सफलता मिलती है. अक्षय तृतीया का समय अपनी क्षमताओं को बढ़ने और ज्यादा योग्य बनने के लिए उत्तम मन जाता है.

अक्षय तृतीया के बारे में 10 रोचक तथ्य  /Akshaya Tritiya ki Rochak Jankari Hindi me –

1. अक्षय तृतीया के दिन ही पूज्य नदी माँ गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था.
2. आज के दिन ही महर्षि भगवन परशुराम का जन्म हुआ था.
3. द्रोपदी को चीरहरण से भगवन श्री कृष्ण ने आज के दिन ही बचाया था.
4. कृष्ण और सुदामा आज ही की तिथि में मिले थे.
5. सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ आज के दिन ही हुआ था.
6. कुबेर को खजाना आज की तिथि में ही मिला था.
7. इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था.
8. ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज के दिन हुआ था.
9. अक्षय तृतीया को ही प्रसिद्ध तीर्थ बद्रीनाथ के बद्री नारायण भगवन के कपाट खोले जाते है.
10. बृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में साल में केवल आज के ही दिन श्री विग्रह चरण के दर्शन होते है अन्यथा वो पूरे साल वस्त्र से ढके रहते है. पढ़िए महर्षि च्यवन की कहानी.

माँ गंगा और राजा भागीरथ की कहानी

अक्षय तृतीया को ही माँ गंगा का स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण हुआ था. माँ गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी लोक में राजा भागीरथ लेकर आये थे.

पौराणिक कथा के अनुसार कपिल मुनि के श्राप के कारन राजा सगर के 60000 पुत्र भस्म हो गए. उनके तर्पण और उद्धार के लिए राजा दिलीप के पुत्र भागीरथ ने कठोर तपस्या की और ब्रह्मदेव को प्रसन्न किया.

ब्रह्मदेव ने जब वर मांगने को कहा तब भागीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर ले जाने की बात कही. इसपर ब्रह्मा जी ने बताया की देवी गंगा का वेग इतना अधिक है की पृथ्वी सहन नहीं कर सकती. उनके वेग को सिर्फ भगवन शिव ही नियंत्रित कर सकते है.

तब भागीरथ ने पुनः तप किया और भगवन शिव को प्रसन्न करके उन्हें अपनी जटाओं में माँ गंगा को अवतरित होने का वरदान माँगा. उसके बाद ब्रह्मा जी ने गंगा को अपने कमंडल से शिव जी की जटाओं में  छोड़ दिया. उसके बाद भोलेनाथ ने गंगा के वेग को अपनी जटाओं में बाँध लिया.

अब फिर से राजा भागीरथ को गंगा जी को पृथ्वी पर लाने के लिए कठोर तपस्या करनी पड़ी. भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने अपनी एक जटा को खोला. फिर गंगा जी की धारा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ और वह गंगा नदी बनकर धरती पर आयीं.

इस प्रकार गंगा जी के पवित्र जल से भागीरथ ने अपने पूर्वजों को तर्पण किया और सगर के 60000 पुत्रों को मोक्ष की प्राप्ति हुई. पढ़िए राजा रानी और उनका परिवार की कहानी

इस दिन कैसे करे पूजा?

  • अक्षय तृतिया के दिन पीले वस्त्र पहने, भगवन विष्णु को पीले रंग के फूल चढ़ाये.
  • गंगा जल से भगवन विष्णु को स्नान कराये और पीले रंग के हलवे या चावल का भोग लगाये.
  • इस दिन सत्तू , ककड़ी और फूली हुयी चने की दाल का भोग लगाये.

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धन्यवाद.

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