एक चतुर राजा की कहानी {FRESH STORY} | Clever King Story in Hindi

दोस्तों आपके के लिए एक चतुर और समझदार राजा की कहानी {King Story in Hindi} publish कर रहे है. इस New & fresh Kahani का आनंद लीजिये.

राजा की कहानी का स्थान / Place of King Story in Hindi

Raja Ki Kahani - New story in Hindiबहुत पुरानी बात है हमारे भारतवर्ष में मिथला पुरी नाम की एक नगरी हुआ करती थी. इस नगरी में पूर्णतया संपन्नता हर तरफ खुशाली थी यहां के लोगों को किसी तरह की कोई कमी नहीं थी बूढ़े बच्चे और जवान सभी हमेशा खुश रहते थे. और सभी अपने अपने कार्यों में तल्लीन रहते थे. यहां के एक राजा थे उनकी प्रजा उनको अपना भगवान मानती थी. Short inspirational stories in Hindi.

राजा उग्रसेन और उनका राज्य  / Ugrasen – The King of Mithlapuri

मिथला पुरी के राजा की कहानी / Mithlapuri’s king story in Hindi : मिथला पुरी के राजा का नाम था उग्रसेन था. वह अपनी प्रजा से बहुत प्रेम करते थे. मिथला पुरी का यश और वैभव आसपास के सभी राजाओं के बीच में कौतूहल का विषय था . उनमें से कुछ राजा ऐसे भी थे जो मिथिला पुरी का नाम सुनकर अपने राज्य को भी उसी तरह का समस्त संसाधनों से संपन्न  राज्य बनाना चाहते थे. तो कुछ ऐसे भी थे जो उनके राज्य की संपन्नता को देखकर मन में इर्ष्या करते थे. Read Gyan Ki Bate in Hindi .

राजा उग्रसेन के मंत्री महामंत्री और सेनापति तीनो ही बहुत कर्मठ और इमानदार थे. जिनके ऊपर राजा आंख बंद करके विश्वास करते थे. राजा के इस विश्वास को देखकर कुछ अन्य मंत्रियों और राजपुरोहित राजा उग्रसेन से नाराज रहते थे परंतु राजा उग्रसेन यह बात जानते थे कि कुछ राजपुरोहित उन से संतुष्ट नहीं हैं परंतु उनको अनदेखा करके उनको भुला देते थे और क्षमा कर देते थे.

राजा राजपुरोहित को अपने पिता की दृष्टि से देखते थे उन्हें लगता था कि उन्होंने उनके पिता के समय से ही इनके राज्य की सेवा की है. उनका सम्मान करना उनका कर्तव्य है और उनकी उपस्थिति उनके पिता की तरह ही थी अर्थात् उन्हें अपने परिवार की दृष्टि से देखते थे. परंतु राजा राजपुरोहित के मनोदशा से अनभिज्ञ थे. राजपुरोहित जी ने पूरे सेवा भाव से मिथिला पुरी की सेवा की परंतु जब एक पिता की भांति सोचने लगे तब राजा के विचार उन्हें पसंद नहीं आए.

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राजपुरोहित का अपमान

राजपुरोहित काफी वृद्ध हो चले थे और वह चाहते थे कि उनके पुत्र को उनके स्थान पर पुरोहित का कार्य करने दिया जाए. परंतु राजा उनके इस प्रस्ताव से खुश नहीं थे. भरी सभा में महामंत्री ने राजपुरोहित के पुत्र के योग्य न होने और अन्य सुयोग्य व्यक्ति को राजपुरोहित का पद  देने का सुझाव दिया था.

राजपुरोहित का पुत्र इस पद के योग्य नहीं था. वह बहुत ही आलसी, लापरवाह व चरित्रहीन था. राजा राजपुरोहित का पद किसी योग्य और शिक्षित व्यक्ति को ही देना चाहते थे. तब तक उन्होंने राजपुरोहित को अपने पद पर बने रहने का अनुरोध किया था.

उग्रसेन को क्या पता था कि वह अपने ही घर में अपने दुश्मन को दावत दे बैठे हैं. क्योकि राजपुरोहित मन में राजा को अपना दुश्मन बना बैठे थे. उनसे अपने और अपने पुत्र के अपमान का बदला लेने का विचार बना रहे थे परंतु सोच नहीं पा रहे थे कि क्या करें.

राजपुरोहित को कैसे मिला बदले का अवसर?

इस तरह समय बीतता गया और पड़ोस के राजा अब राजा उग्रसेन की खुशहाली समृद्धि से भर गए. तभी पड़ोसी राज्य के सेनापति की पुत्री वनविहार करते हुए मिथलापुरी की सीमा में घुस आई. और उसको मिथलापुरी के कुछ सैनिकों ने बंदी बना लिया और संयोगवश वो सैनिक राजपुरोहित के लिए कार्य करते थे और वे  राजपुरोहित के गुप्तचर थे.

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जब यह खबर उन गुप्तचरों ने राजपुरोहित को बताई तो राजपुरोहित और उसके पुत्र ने एक षड्यंत्र रचा. राजपुरोहित ने उस सेनापति की पुत्री को बंदी बना लिया और अनंतपुर राज्य के सेनापति को संदेश भिजवाया कि यदि अपनी पुत्री को सकुशल प्राप्त करना चाहते हैं तो उन्हें उनकी शर्त माननी होगी.

पत्र के सन्देश ने सेनापति को हिला दिया  / Socking message in letter

अनंतपुर के सेनापति ने जब सन्देश पढ़ा तो  वह बहुत भयभीत होगये. क्योंकि पत्र में जो लिखा गया था वह सेनापति नहीं कर सकता था परंतु उसे अपनी पुत्री के प्राणों की रक्षा करने थी. वह अनंतपुर के राजा से एकांत में मिलने के लिए गया. वहां उसने सारी बात राजा को बतलाई.  अनंतपुर राजा ने उसे वह शर्त मानकर कार्य करने की अनुमति दे दी.

क्या आप जानते है की सेनापति इसलिए भयभीत हुए क्योकि उस पत्र में एक षणयंत्र लिखा था कि अनंतपुर सेनापति अपनी सेना को लेकर मिथलापुरी के राजपुरोहित के पास आए और वह अनंतपुर सैनिक राजपुरोहित के कुछ सैनिक टुकड़ी के साथ मिलकर अचानक ही मिथलापुरी के राजा के ऊपर आक्रमण करेंगे और राजा की हत्या कर देंगे. इस प्रकार राजपुरोहित मिथलापुर नरेश बनकर अनंतपुर सेनापति की पुत्री का विवाह अपने पुत्र से कर लेगा. यह मिथलापुर का राज्य हासिल करने, साथ ही साथ अनंतपुर के सम्बन्धी बनने का मौका था.

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राजभवन में हमले की रणनीति / Strategy of attack in King House

इसके बाद कोई भी राज्य मिथलापुरी और अनंतपुर पर हमला करने के बारे में सोचेगा भी नहीं. इसप्रकार अनंतपुर सेनापति और राजपुरोहित मिलकर षणयंत्र की रचना करने लगे. और यह सोचने लगे की इसको अंजाम देने का उचित समय कौन सा है. तभी एक गुप्तचर ने एक बात बताई कि सर्दी के मौसम की वजह से काफी सैनिक बीमार पड़ गए हैं और वह अपना उपचार करवा रहे हैं, इस कारण वह महल की सुरक्षा व्यवस्था इस समय कमजोर है और इस मौके का फायदा उठाकर महल में मध्यरात्रि के समय आक्रमण करें.

यह जानकर राजपुरोहित एक योजना तैयार करते हैं की जब राजा उग्रसेन अपने कक्ष में सोने चले जाएंगे तब उनके कक्ष से होकर गुजरने वाली खुफिया सुरंग के माध्यम से हम महल में प्रवेश करेंगे और उसका एक रास्ता भोजनालय में खुलता है. राजा के कक्ष में सैनिकों की पहरेदारी अधिक होगी इसलिए भोजनालय में घुसकर वहां आग लगा देंगे. जिससे सब का ध्यान भटक जाएगा और महल के सभी सैनिक आग बुझाने के लिए भोजनालय की तरफ भागेंगे. उसी क्षण हम राजा के कक्ष में घुसकर उसकी हत्या कर देंगे. और महल के बाहर खड़े सैनिकों को अन्दर लाकर बाकी महल के सैनिकों पर हमला कर देंगे.

इसके राजा की हत्या करके समस्त किले पर कब्ज़ा कर लेंगे. और सेनापति, महामंत्री को बंदी बनालिए जायेंगे, इसप्रकार प्रजा को कुछ ज्ञात ही नहीं होगा की आक्रमण किसने किया और रजा विहीन राज्य में सिंघासन पर बैठना बहुत आसान कार्य है.

राजा के कक्ष में शत्रु का हमला / Attack of Enemy in King’s Room

इस प्रकार राजपुरोहित और अनंतपुर की सेना महल में प्रवेश कर गए. और सुरंग के रस्ते से वह भोजनालय होते हुए राजा के कक्ष में प्रवेश कर गए लेकिन वह परंतु वह सेनापति और महामंत्री पहले से उपस्थित थे.और वह शत्रु पर आक्रमण करने को पहले से तैयार थे. सेनापति और महामंत्री उस रात राजा से राज्य की शस्त्रागार और राजकोष को कैसे बढाया जाये और नए सैनिकों को कैसे भारती किया जाये इस विषय पर चर्चा करने आये थे लेकिन ज्यादा रात्रि होने के कारन वह महल में ही रुक गए.

शत्रु के आक्रमण की घटना को देखकर सीधे राजा की रक्षा के लिए कक्ष में पहुच गए. उन्होंने राजा को शत्रु सैनिकों से बचाया. राजा ने उन्हें इशारे से अपने कक्ष की गुप्त सुरंग की तरफ इशारा करते हुए वह से भागने के लिए कहा. इसप्रकार राजा, सेनापति, महामंत्री तीनो सुरंग से भाग गए और भागते हुए वह जंगल में पहुच गए. लेकिन शत्रु उनका पीछा करते हुए जंगल में भी आ पहुचे. Story Kids – Greed of Tiger in Hindi.

राजा की चतुरता / Cleverness of King

अब तक राजा, सेनापति और महामंत्री बुरी तरह से थक चुके थे. राजा ने उन्ही किसी प्रकार धैर्य रखने और सुरक्षित स्थान खोजने का प्रयास  कर रहे थे. तभी भागते हुए राजा को जंगल में घने पेड़ों के बीच एक गुफा दिखी जो काफी गन्दी थी और उसमे जगह जगह मकड़ियों ने बहुत घना जाला बुन रखा था और उसमे बहुत बदबू आ रही थी. जो दूर से भी सूंघी जा सकती थी. राजा के सेनापति उस गुफा को साफ़ करने के लिए मकड़ी का जाला हटाने लगे तो राजा ने उन्हें रोक दिया  और कहा की बिना जाला हटाये रेंगते हुए गुफा के अन्दर जायेंगे. और सब लोग रेंगकर गुफा में गुसे.

क्या तीनो अपनी जान बचा पाये – आगे पढ़िए?

कुछ समय बाद जब शत्रु उन्हें खोजते हुए गुफा के द्वार पर आये तो उन्होंने देखा की जंगली मकड़ियों ने गुफा के प्रवेश द्वार को जाल से पूरी तरह ढक रखा है बिना जाल हटाये उसमे प्रवेश करना उन्हें असंभव लगा. आस पास गन्दगी और बदबू से उनका बुरा हाल होगया और वो वह से जल्दी चले गए. भोर होते ही राजा, सेनापति और महामंत्री वह से चुपके से बहार आये तब तक मिथ्लापुरी की सेना भी इनलोगों को खोजते हुए वहा पहुँच चुकी थी. 3 Short Hindi Stories with Moral Values.

Conclusion of King Story in Hindi / राजा की कहानी का समापन

इसप्रकार राजा सकुशल अपने राज्य वापस आगये. सेनापति, महामंत्री और मंत्रियों  ने सारी सेना के साथ मिलकर सभी शत्रुओं को मार भगाया और पुरोहित और उसके पुत्र को म्रत्युदंड दिया.. इसप्रकार राजा की चतुराई और सुझबुझ से सबकी जान बची. अगर वह मकड़ी का जाल हटा देते तो शत्रु गुफा में आकर तीनो को  ख़त्म कर देते और मिथ्लापुरी में दुश्मनों का राज होता.

प्रिय पाठको आपको चतुर राजा की कहानी King Story in Hindi चतुर रजा की कहानी  हिंदी में  कैसी लगी हमें जरूर बताये और इस कहानी को फेसबुक, ट्विटर आदि पर शेयर भी करिए. इस कहानी को वंदना जी ने खुद लिखा है. हमारे Hindi Quotes वेबसाइट पर समय समय पर उनकी कहानिया हिंदी (Kahaniya in Hindi) में प्रकाशित होती रहेंगी.-

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